MODERNITY OF LIFE -जीवन की आधुनिकता

MODERNITY OF LIFE -जीवन की आधुनिकता

Modernity of life ;; Compulsion of nature

(जीवन की आधुनिकता ;; प्रकृति की विवशता )

 आज हम ऐसे आधुनिक युग में जी रहे है जहाँ विज्ञानं ने इतनी अधिक तरक्की कर ली है की हर काम आज मशीनों के द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में आधुनिकीकरण इतना अधिक हो चूका है की सभी छोटे या बड़े हर तरह के काम में मशीनों का भागीदारी हो चुकी है जो कई दिनों का काम कुछ ही घंटो में कर देती है जिससे समय तो बचता है लेकिन  प्रकृति तथा  मानव संसाधन पर इसका नकारात्मक असर हो रहा है। 

यहाँ बात सिर्फ मानव संसाधन के रोजगार के नही है अपितु यह आने वाली उन विपत्तियों का कारण  बन सकती है जिनका हम मुक़ाबला नहीं कर पाएंगे। जैसा की आप सभी जानते है की आज के समय में हर काम में हम प्राकृतिक संसाधनों का कितना अधिक दुरूपयोग कर रहे है जिनके आगामी वर्षो में दूरगामी परिणाम भुगतने होंगे। आज आप सभी अपने ज्यादातर  काम को कागज पर जरूर करते होंगे जोकि हमे पेड़ो को काटने से मिलते है। आजकल तो कंप्यूटर का जमाना है जिसमे हर काम डिजिटल होने के साथ साथ प्रिंटेड भी हो गया है।  जाहिर सी बात है की आप हर दिन न जाने कितना  कागज को इस्तेमाल करते है। जबकि आपको  है की कागज लकड़ी से ही बनता है लेकिन फिर भी हम इस पर कभी धयान नही देते की इतना कागज आता कहाँ से है।  

MODERNITY OF LIFE

विकसित होने के लिए जितनी तेजी से हम अपनी प्रकृति का विनाश कर रहे है उतने ही तेजी के साथ हम मानव जीवन के खात्मे  की तरफ अग्रसर है। जो वृक्ष हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु , लकड़ी, फल ,फूल छाया आदि प्रदान करते है उन्ही कीमती पेड़ो को हम कभी सड़क बनाने के लिए तो कभी कागज के लिए निरन्तर काटे  जा रहे है।  

दूरसे तरफ हम प्राकृतिक शुद्ध जल को इतना ज्यादा बहा रहे है तो कभी कारखाने के कचरे से  दूषित करके अपने ही विनाश को आमंत्रित कर रहे है जबकि हम ये जानते यही की जल बिना जीवन संभव ही नहीं है फिर भी हम क्यों नहीं समझते की 70 प्रतिशत पानी होने के बाद भी हमारे पास पिने के लायक जल बहुत ही कम मात्रा में है।  कही कही तो ऐसा हाल है की किसी गांव या शहरो में पिने का पानी ही नहीं है या बहुत काम मात्रा में है। 

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इसके अतिरिक्त वायरलेस तकनीकों के विकास की वजह से कई  तरह की त्वचा सम्बंधित बीमारी भी फल-फूल रही है। ऐसा केवल वायरलेस तकनीकों से संचालित तरंगो के कारण हो रहा है  कुछ वायु प्रदुषण के कारन भी।  

MODERNITY OF LIFE

किसी भी समाज का विकसित  होना अछि बात है लेकिन विकास करने के लिए यह जरुरी नहीं है की प्रकृति को  हानि पहुंचाई जाए। कुदरत के जिस वातावरण में इंसान की उत्पति हुई है उस वातावरण के  आभाव में कोई भला कैसे जी पायेगा। यह बात १०० प्रतिशत सच है की हम इंसानो ने हमेशा किसी न किसी रूप में प्राकृति का नुक्सान किया है चाहे वह वायु प्रदुषण हो या जल प्रदुषण या भूमि प्रदुषण हो। प्रकृति हमारे लिए एक माँ की कोख के जैसी होती है क्या हमारा  ये फ़र्ज़ नहीं बनता की  हम अपने विकास की आड़ लेकर कभी भी प्रकृति को नुकसान न पहुंचाए।  

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