श्री राम जन्म कथा | श्री राम और उनके भाइयों का जन्म | God Sri Ram Birth Story in Hindi

श्री राम जन्म कथा | श्री राम और उनके भाइयों का जन्म | God Sri Ram Birth Story in Hindi

श्री राम का जन्म कैसे हुआ था। श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन का जन्म | (Shree Ram's Birth story in Hindi)

राजा दशरथ 

त्रेता युग में सूर्यवंश में राजा इक्ष्वाकु, दिलीप, भगीरथ, रघु और राजा हरिश्चंद्र जैसे प्रतापी राजाओं के बाद राजा दशरथ हुए। राजा दशरथ बड़े ही प्राक्रमी और प्रतापी राजा थे । तीनों लोको  में उनकी कीर्ति विद्यमान थी। देवराज इंद्र उनके मित्र थे तथा उन्होंने देव और असुरों के संग्राम में देवराज इंद्र के साथ मिलकर युद्ध किया था। राजा दशरथ का साम्राज्य दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति पर था लेकिन उन्हें केवल एक ही चिंता सताए जा रही थी कि उनके बाद उनके वंश का क्या होगा। राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी जिनमें से सबसे बड़ी रानी कौशल्या थी उनसे छोटी रानी केकई थी तथा सबसे छोटी रानी सुमित्रा थी । तीन पत्नियां होने के बावजूद राजा दशरथ की कोई पुत्र नहीं था जो उनके कुल को आगे बढ़ा सके । इसलिए उन्हें अपने कुल के अंत का डर सताए रहता था। 

श्री राम जन्म कथा
श्री राम जन्म कथा

इसी विषय में उन्होंने अपने कुल ऋषि से इस समस्या का समाधान पूछा। उनके कुल ऋषि ने बताया कि उन्हें पुत्र प्राप्त करने के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न करना होगा जिसके फल स्वरूप उन्हें पुत्र की प्राप्ति अवश्य होगी। लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यह शर्त भी रखी की वह स्वयं पुत्रेष्टि यज्ञ नहीं करवा सकते इस यज्ञ के लिए राजा दशरथ को स्वयं जाकर श्रृंग मुनि को प्रसन्न करना होगा । श्रृंग मुनि अथर्ववेद के पूर्ण ज्ञाता है तथा वह पुत्र कामेष्टि यज्ञ के विशेषज्ञ है। वही इस यज्ञ को संपन्न करवा सकते है।

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पुत्र कामेष्टि यज्ञ संपन्न होना

राजा दशरथ पैदल वन में श्रृंग मुनि के पास जाते हैं तथा उनसे आग्रह करते हैं कि संतान सुख के लिए व्याकुल हैं। कृपया करके मेरी समस्या का समाधान कीजिए। राजा दशरथ की सादगी तथा विनम्र आदर भाव के कारण श्रृंग मुनि प्रसन्न हुए और उन्होंने दशरथ का वचन दिया कि वह उनका पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाएंगे। उसके पश्चात शुभ मुहूर्त देखकर उन्होंने दशरथ का पुत्र कामेष्टि यज्ञ संपन्न करवाया यज्ञ संपन्न होने के बाद हवन कुंड में से अग्निदेव एक खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और राजा दशरथ से बोले। हे राजन, यह खीर ले जाओ और अपनी तीनों रानियों को बराबर खिला दो इससे तुम्हे संतान प्राप्ति अवश्य होगी।

श्रीराम तथा उनके भाइयों का जन्म

राजा दशरथ खीर का पात्र ले जाकर रानी कौशल्या तथा रानी कैकई को दे देते हैं। रानी कौशल्या तथा रानी कैकई अपने अपने पात्र में से एक एक निवाला सबसे छोटी रानी सुमित्रा को खिला देते हैं जिसके प्रभाव से कुछ समय बाद राजा दशरथ के घर में एक साथ चार पुत्रों का जन्म होता है। रानी कौशल्या सबसे बड़े पुत्र राम को जन्म देती है। उसके कुछ ही समय बाद हैरानी कैकई राजा दशरथ के दूसरे पुत्र भरत को जन्म देती हैं। कुछ है घड़ी बीतने के पश्चात रानी सुमित्रा राजा दशरथ के तीसरे पुत्र लक्ष्मण को जन्म देती है तथा कुछ ही क्षण बाद वह दशरथ के चौथे पुत्र शत्रुघ्न को जन्म देती हैं। 

और इस प्रकार पृथ्वी पर बढ़े हुए पाप, अत्याचार को मिटाने के लिए भगवान नारायण स्वयं राजा दशरथ के पहले पुत्र श्री राम के रूप में जन्म लेते हैं। भगवान विष्णु के राम अवतार का साथ देने के लिए शेषनाग लक्ष्मण के अवतार में जन्म लेते हैं। तथा उनके साथ ही भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र भारत के अवतार में जन्म लेते हैं तथा शत्रुघ्न भगवान विष्णु के शंख शैल के  अवतार होते है।

श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को चार पुरुषार्थ का रूप माना गया है। जिसमें श्री राम धर्म का रूप होते हैं तथा भारत मोक्ष का रूप होते हैं। उसके साथ ही लक्ष्मण जी को काम का प्रतीक माना गया है तथा शत्रुघ्न जी को धन का रूप माना गया है ।

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