यीशु कौन है? । ईसाह मसीह कौन है? | Who was God Jesus Christ in hindi

यीशु कौन है? । ईसाह मसीह कौन है? | Who was God Jesus Christ in hindi

यीशु कौन थे ? जीजस क्रिस्ट कौन है ?  इसाह  मसीह कौन थे ?

यीशु की मृत्यु कैसे हुई ? (Who was  God  Jesus Christ in hindi)

यीशु कौन है? । 

(Jesus Christ Koun Hai)

ईसा मसीह को जीजस क्रिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। जबकि उनका वास्तविक नाम यीशु था। इन्होंने ईसाई धर्म की खोज की थी। तथा वह पहली शताब्दी के एक महान उपदेशक तथा एक धार्मिक नेतृत्व करने वाले व्यक्ति थे जिनके उपदेशक विचारों के आधार पर ईसाई धर्म के नियमों को रखा गया। ईसाइयों के धर्म ग्रंथ बाइबिल में यीशु को ईश्वर के पुत्र के रूप में बताया गया है। रोमन गवर्नर ने उन्हें मृत्यु की सजा सुनाकर सूली पर चढ़ा दिया था जिसके 3 दिन बाद वह दोबारा जीवित हो उठे और 40 दिन बाद स्वर्ग में चले गए। कुछ लोग उन्हें रब्बी (धर्मगुरु) भी कहते थे। ज्यादा पढ़ें -

Yeshu Koun hai
यीशु कौन है?

यीशु (ईसा मसीह) का जन्म तथा परिवार

Jesus Christ, Birth and Family in Hindi) 

यीशु (ईसा मसीह) एक गैलीलियन यहूदी थे। उनकी माता का नाम मरियम था जो कि गैलीलियन प्रांत के नाजरत गांव में रहती थी। माना जाता है कि मरियम विवाह से पहले ही भगवान की कृपा प्रभाव के कारण गर्भवती हो गई थी। यीशु के पिता एक बढ़ई थे जिनका नाम युसूफ था। मरियम तथा यूसुफ की सगाई यीशु के जन्म से पहले हो चुकी थी। जब यूसुफ को मरियम के गर्भवती होने का पता चला तब उन्होंने इसे ईश्वर की कृपा समझकर मरियम को पत्नी रूप में स्वीकार किया। विवाह के बाद वे दोनों गैलीलिया छोड़कर बेथलहम मैं रहने के लिए चले जाते हैं। और वहीं पर ईसा मसीह यानी यीशु का जन्म होता है। अपनी माता मरियम के नाज़रत की होने के कारण यीशु को नाज़रत का जीजस भी कहा जाता है। ज्यादा पढ़ें -

यीशु (ईसा मसीह) का वास्तविक नाम 

(Real name of Jesus Christ)

ईसा मसीह यहूदियों के भगवान माने जाते हैं। ईसा मसीह को इब्रानी में येशु के नाम से जाना जाता था। लेकिन कोई अंग्रेजी भाषा में इसका उच्चारण करता था तो वह इस नाम को जेशुआ कहकर बुलाता। इसके बाद यह जेशुआ नाम बदलकर जीजस कहा जाने लगा। लोग उन्हें नासरत का यीशु कहकर बुलाते थे और यीशु ही उनका वास्तविक नाम था।  लोग उन्हें नाज़रत का जीजस भी  कहते है।

यहूदी धर्म के प्रचारक 

ईसा मसीह (यीशु)यहूदी धर्म के भगवान माने जाते हैं क्योंकि उन्होंने लगभग 30 साल की उम्र से ही यहूदी धर्म का प्रचार करना शुरू कर दिया था। वह अपने उपदेशों में ईश्वर के संदेशों का जिक्र करते थे। स्वयं को ईश्वर का पुत्र बताते हुए कहते थे की वे ही ईश्वर के पुत्र हैं, वे ही मसीह है, और स्वर्ग तथा मुक्ति का मार्ग भी वही है। विश्वास करने के लिए कहते हैं। जो भी ऊपर विश्वास करेगा वह स्वर्ग में जाएगा।  ज्यादा पढ़ें -

क्रिसमस का त्यौहार

(Cristmas Day in Hindi)

 बेथलहम में यहूदियों के भगवान यीशु (जीजस क्रिस्ट) के जन्म दिवस के रूप में यहूदियों के द्वारा क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। हालांकि यीशु के जन्म की तारीख के बारे में पूरी तरह किसी को नहीं पता है कि वह वास्तव में किस दिन पैदा हुए थे लेकिन फिर भी चौथी (4th) शताब्दी के प्रतीक के रूप में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है। क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे खास तथा पवित्र त्योहार माना जाता है। क्रिसमस डे का महत्व ईसा मसीह के जन्म के रूप में देखा जाता है। अलग-अलग देशों में किसमिस का त्यौहार अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। यहूदियों द्वारा यीशु यानी ईश्वर के प्रेम और संवेदना का जश्न मनाया जाता है क्योंकि भगवान यीशु लोगों के लिए सूली पर चढ़े थे।

यीशु की मृत्यु कैसे हुई 

(Death of Jesus Christ In Hindi)

यहूदी धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह का बहुत अधिक विरोध किया उन्हें लगता था कि वह कोई विशेष व्यक्ति नहीं है जो स्वयं को ही ईश्वर का पुत्र बताता है। यहूदी धर्म गुरु ईसा मसीह को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे इसलिए उन्होंने उस समय के रोमन राज्य के गवर्नर पिलाती उसको इसकी शिकायत करते हुए यीशु के विचारों तथा लोकप्रियता के बारे में बताया। उस समय रोमन शासकों को हमेशा यह डर लगा रहता था कि कहीं यहूदी ईसा मसीह के विचारों पर आगे बढ़कर कोई क्रांति की शुरुआत न कर दें। यह विचार करके रोमन गवर्नर पिला तो उसने ईसा मसीह को मौत की सजा सुनाई तथा उन्हें क्रूस पर लटका कर उनके हाथ पांव में कील ठुकवा दी। बाइबिल ग्रंथ के मुताबिक माना जाता है कि रोमन सैनिकों ने ईसा मसीह को बहुत ही यातनाएं दी उन्हें कोड़ों से मारा गया, कांटों का ताज पहनाया गया, उन्हें शराब पिलाई गई और अत्यंत दर्दनाक मृत्यु दी गई। ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाय गया था तब उन्होंने अपने लोगों के सारे पाप अपने ऊपर ले लिए थे तथा सभी पापियों को पाप मुक्त कर दिया था। इसी अवधारणा के साथ माना जाता है कि जो भी ईसा मसीह में विश्वास करेगा वह स्वर्ग को प्राप्त करेगा। जब उन्हें मृत्यु की सजा सुनाकर सूली पर चढ़ाया गया था उसके 3 दिन बाद वह दोबारा जीवित हो उठे और 40 दिन बाद स्वर्ग में चले गए।

यीशु के बारह (12) शिष्य तथा उनके नाम 

 (Twelve (12) disciples of Jesus and their names)

जब यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया था उनके बाद उनके शिष्यों ने उनके धार्मिक विचारो, संदेशो को पूरी दुनिया में फैला दिया। यीशु के बारह शिष्य थे जिन्होंने उनके मृत्यु के बाद पूरी दुनिया में ईसाई धर्म का प्रचार किया था। उनके 12 शिष्यों के नाम थे -

1. एंड्र्यू 

2. जेम्स (जबेदी का पुत्र)

3. पीटर 

4. जॉन 

5. बर्थोलोमियू

6. फिलिप

7. थॉमस 

8. मत्तिय्याह

9. मैथ्यू 

10. संत जुदास 

11. साइमन द जिलोट

12. जेम्स (अल्फाइयूज का पुत्र)

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