कौन है? किन्नरों के देवता अरावन (इरावन) । अर्जुन पुत्र इरावन कौन थे | Who Is God Aravan in Hindi

कौन है? किन्नरों के देवता अरावन (इरावन) । अर्जुन पुत्र इरावन कौन थे | Who Is God Aravan in Hindi

किन्नरों के देवता अरावन (इरावन) कौन थे | अरावन देवता का मंदिर कहां है। अरावन के जन्म की कहानी 

(Who was Aravan, the God of Eunuchs in Hindi)

अरावन (इरावन) कौन है ? (Aravan kon hai?)

अरावन (इरावन)  को किन्नरों का देवता माना जाता है और वे अर्जुन के पुत्र थे। इरावन की माता एक नागकन्या थी जिनका विवाह पांडुपुत्र अर्जुन से हुआ था। महाभारत ग्रंथ में यह वर्णन किया गया है की स्वयं श्री कृष्ण ने मोहिनी बनकर इरावन से एक दिन के लिए विवाह किया था । इसलिए वर्ष में एक दिन सभी किन्नर भगवान इरावन से शादी करते हैं और अगले दिन वह विधवा की तरह विलाप करते हैं। इरावन देवता का तमिलनाडु राज्य में एक मंदिर भी है जहां पर इनकी पूजा की जाती है। रावण के जन्म का संबंध महाभारत काल के समय से है।  ज्यादा पढ़ें -

किन्नरों के देवता अरावन (इरावन) कौन थे
किन्नरों के देवता अरावन

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अरावन देवता का मंदिर कहां है।

अरावन (इरावन) किन्नरों के देवता है इसीलिए दक्षिण भारत में रहने वाले किन्नरों को अरावनी भी कहा जाता है । तमिलनाडु के कई स्थानों पर अरावन देवता का मंदिर है लेकिन अरावन (इरावन) देवता का सबसे प्राचीन मंदिर तमिलनाडु राज्य के विल्लुपुरम जिले के कुंभगम गांव में है। यह मंदिर कुंठ टावर टेंपल के नाम से जाना जाता है । इस मंदिर में भगवान इरावन के केवल शीश की पूजा की जाती है जैसे खाटूश्याम जी के शीश की पूजा की जाती है। ज्यादा पढ़ें -

अरावन (इरावन) के जन्म की कहानी 

जब अर्जुन एक वर्ष की तीर्थयात्रा के लिए गए थे तब गंगा में स्नान करते हुए एक विधवा नागकन्या जिसका नाम उलूपी था अर्जुन पर मोहित हो गई और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया। नागकन्या उलूपी बहुत ही सुंदर थी तथा उन्होंने अर्जुन से विवाह का प्रस्ताव रखा। अर्जुन ने उनके विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किया और उन दोनों का विवाह हो गया। विवाह के कुछ समय पश्चात नागकन्या उलूपी ने अर्जुन के एक पुत्र इरावन को जन्म दिया। अपने जन्म से लेकर अपनी युवावस्था तक इरावन अपनी माता के साथ नागलोक में ही रहा वहीं पर उसने धनुर्विद्या तथा अन्य शिक्षा प्राप्त की। युवावस्था पूर्ण होने के बाद इरावन अपने पिता अर्जुन से मिलने के लिए नागलोक से चल पड़ते हैं उस समय अर्जुन इंद्रलोक गए हुए थे ताकि वे दिव्यास्त्रों की प्राप्ति कर सकें। इरावन अपने पिता और अर्जुन से मिलने के लिए वहीं पर पहुंच जाते हैं और अपना परिचय देते हैं। उन्हें अपने ह्रदय से लगा लेते हैं और अपने ऊपर बीती सभी बाते इरावन को बताते हैं और यह भी कहते हैं कि युद्ध के समय वह उसको अवश्य बुलाएंगे।

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अरावन (इरावन) की बलि क्यों दी गयी | अरावन की मृत्यु कैसे हुई थी।  

जब महाभारत का युद्ध जीतने के लिए पांडवों को माता काली को एक नरबलि देकर प्रसन्न करना जरूरी था इसके लिए वह तय नहीं कर पा रहे थे कि वह किसकी बलि दे। लेकिन जब इरावन को यह पता चला कि उनके पिता और परिवार जन इस समस्या को लेकर दुखी है कि किसी एक नर को अपनी बलि देनी होगी तो इरावन अपनी बलि देने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन इरावन की एक शर्त थी कि वह अविवाहित नही मरना चाहते थे। इरावन चाहते थे कि उनका विवाह होने के पश्चात ही उनकी बलि दी जाए। कोई भी पीता ऐसे इंसान को अपनी पुत्री से विवाह करने के लिए तैयार नहीं था जिसकी अगले ही दिन बलि दी जानी हो। इस तरह यह एक गंभीर समस्या बन जाती हैं कि इरावन से 1 दिन के लिए कौन स्त्री शादी करेगी।  ज्यादा पढ़ें -

जब कोई भी पिता अपनी पुत्री का विवाह इरावन से करने के लिए तैयार नहीं हुआ तो श्री कृष्ण ने तय किया कि वह इस कार्य को पूरा करेंगे और उन्होंने मोहिनी का रूप धारण किया और इरावन से विवाह किया। अगले दिन अरावन स्वयं अपना शीश काटकर माता काली के चरणों में समर्पित कर देते है तो मोहनी के रुप में श्री कृष्ण ने उनकी मृत्यु पर विलाप किया। क्योंकि श्री कृष्ण पुरुष होने के बाद एक स्त्री का रूप धारण किया था इसलिए उस समय उनके इस रूप को एक किन्नर माना गया । तभी से लेकर अब तक यह प्रथा चली आ रही है इरावन देवता के विवाह वाले दिन ही सभी किन्नर उनसे 1 दिन के लिए शादी करते हैं और अगले दिन अरावन देवता की मृत्यु के बाद विधवाओं की तरह विलाप करते हैं।

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कितने शक्तिशाली थे अरावन (इरावन)

इरावन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु तथा भीम के पुत्र घटोत्कच की तरह बड़े महारथी थे जो कि बहुत सारे योद्धाओं से अकेले लड़ सकने में सक्षम थे। और अर्जुन पुत्र होने की वजह से वह महारथी थे जबकि उनकी माता नागलोक से होने की वजह से वह माया में भी निपुण थे। वह धनुर्विद्या में निपुण थे तथा राण कौशल में बड़े से बड़े महारथी से लड़ सकते थे।  

 FAQ-

प्रश्न 1. अरावन (इरावन) कौन है ?

उत्तर- अरावन (इरावन)  को किन्नरों का देवता माना जाता है और वे अर्जुन के पुत्र थे। इरावन की माता एक नागकन्या थी जिनका विवाह पांडुपुत्र अर्जुन से हुआ था।

प्रश्न 2. अरावन को किन्नरों का देवता क्यों माना जाता है ?

उत्तर-  श्री कृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण किया और अरावन से विवाह किया। जब अगले दिन ही इरावन की बलि दी गई तो मोहनी के रुप में श्री कृष्ण ने उनकी मृत्यु पर विलाप किया। क्योंकि श्री कृष्ण पुरुष होने के बाद एक स्त्री का रूप धारण किया था इसलिए उस समय उनके इस रूप को एक किन्नर माना गया।  इसी वजह से अरावन को किन्नरों का देवता या स्वामी माना जाता है। 

प्रश्न 3. अरावन (इरावन) की बलि क्यों दी गयी या उनकी मृत्यु कैसे हुई ?

उत्तर-  जब महाभारत का युद्ध जीतने के लिए पांडवों को माता काली को एक नरबलि देकर प्रसन्न करना जरूरी था इसके लिए इरावन स्वयं अपनी बलि देने के लिए तैयार हो जाते हैं।

प्रश्न 4. अरावन देवता का मंदिर किस स्थान पर है? 

उत्तर- तमिलनाडु के कई स्थानों पर अरावन देवता का मंदिर है लेकिन अरावन (इरावन) देवता का सबसे प्राचीन मंदिर तमिलनाडु राज्य के विल्लुपुरम जिले के कुंभगम गांव में है। यह मंदिर कुंठ टावर टेंपल के नाम से जाना जाता है । इस मंदिर में भगवान इरावन के केवल शीश की पूजा की जाती है 

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