हेल्थ इंश्योरेंस लेना जा रहे है तो इन बातों को जान लें | Factors affecting the Selection of a Health Insurance Policy

हेल्थ इंश्योरेंस लेना जा रहे है तो इन बातों को जान लें | Factors affecting the Selection of a Health Insurance Policy

 हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहते है लेकिन फैसला नहीं कर पा रहे है की कौन सी पालिसी ले और कौन सी नहीं, कैसे लें या कहाँ से लें। तो  आप बिलकुल सही पोस्ट पर आये है हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी सभी जरुरी बातें बताने जा रहे है जोकि आपको एक बेहतर स्वास्थ्य बीमा पालिसी लेने में मदद करेगी। 

स्वास्थ्य बीमा क्यों जरुरी है ? {Importance of Health Insurance}

 हेल्थ इंश्योरेंस आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। यदि आपने हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो सावधान हो जाइये।  भारत की अधिकतर जनता गरीबी रेखा से नीचे आती है और बहुत से लोग मध्यम वर्ग में आते हैं लेकिन वह मध्यम वर्ग लोग भी गरीब रेखा से मात्र एक अस्पताल के बल की दूरी पर है क्योंकि यदि आपने अपने परिवार के लिए यह परिवार किसी सदस्य को कोई बीमारी या हादसे की वजह से हॉस्पिटल में इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता है तो उस अस्पताल का एक बिल ही आपके परिवार की सारी सेविंग्स तथा भविष्य के लिए किए गए सभी प्लांस को ध्वस्त कर सकता है। इसलिए आज के समय में परिवार के सभी सदस्यों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस एक परिवार के अहम सदस्य की तरह काम करता है जो की अचानक हुए स्वास्थ्य संबंधी खर्चों या हादसों से आपको बचा लेता है। एक गरीब परिवार या मध्यम वर्गीय परिवार किसी घटना होने के बाद किसी बड़े अस्पताल का बिल सहन करने में सक्षम नहीं होता है उनकी इसी कमी को पूरा करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस आपके साथ आपका सहायक बनकर खड़ा रहता है। 


Main Points of a Health Insurance
Health Insurance Key Factors

हेल्थ इंश्योरेंस की जानकारी का अभाव {Lake of Knowledge of Health Insurance}

हेल्थ इंश्योरेंस का इतना अधिक महत्व होने के बावजूद भी भारत की अधिकतर जनता आज भी हेल्थ इंश्योरेंस को लेने में संकोच करती है या फिर कम जानकारी होने के कारण वह इसमें पड़ना ही नहीं चाहते जबकी हेल्थ इंश्योरेंस आपको वह स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवा सकता है जो की आप अपनी कमाई और बचत से कभी नहीं ले सकते।  भारत देश मैं गांव में रहने वाले अधिकतर लोगों ने कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं ले रखी है इसका मतलब यहां हो सकता है कि है हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं।

बहुत से लोग जानकारी पाने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस लेना तो चाहते हैं लेकिन उनके सामने यह प्रश्न जरूर आते हैं । 

  1. health insurance kaise select kare

  2. best health insurance plan kaise choose kare

  3. health insurance lene se pehle kya dekhe

  4. health insurance choose karne ke factors

  5. health insurance plan ka selection

  6. sahi health insurance policy kaise chune

  7. health insurance select karte time kya dhyan de

  8. health insurance lene ke fayde aur tips

  9. apne liye best health insurance kaise le

  10. health insurance compare kaise kare

बीमा पालिसी लेते समय ध्यान रखने वाली जरुरी बातें या आवशयक कदम। {Essential Steps to Choose Right Health Insurance Policy}

1. हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी कौन सी लें ? {Types of Health Insurance policy}

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा की आप कोन सा प्लान लेना चाहते है। स्वास्थ्य बीमा कंपनी के द्वारा 5 प्रकार की बीमा पॉलिसी दी जाती है। जिसमे से आपको अपने हित के अनुसार सिलेक्ट करना होता है।

Individual Plan: किसी एक व्यक्ति के लिया बीमा पालिसी प्लान होता है। 

Family Floater: इसमें एक परिवार के सभी सदस्यों का हेल्थ कवर प्लान दिया जाता है। 

Senior Citizen Plan: यह प्लान खासकर वृद्ध लोगो के लिए होता है जिसके नियम कुछ अलग होते                                     है। 

Critical Illness Plan: यह प्लान कुछ गंभीर बीमारियों के इलाज से बचने के लिए लिया जाता है जैसे दिल सम्बंधित बीमारियां या कैंसर आदि। 

Top-Up/Super Top-Up Plans: यह प्लान पहले से चल रहे बिमा पालिसी पर लागु हो सकता है जब आपको अपने कवर की राशि से अधिक की जरुरत पड़ जाए। 

2. कितने रुपए का बीमा कवर लेना चाहिए? {Sum Insured or Coverage Amount}

कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने से पहले आपको यह निर्धारित करना होता है कि आप बीमा कवर कितने रुपए तक का चाहते हैं। यदि आप इस बारे में नहीं जानते तो है तो आपको बता दें कि बीमा कवर पर वह राशि होती है कि जो एक साल के अंदर बीमा कंपनी इलाज के लिए आपको देने के लिए बाध्य होती है। बीमा कवर की राशि का निर्धारण आप इस आधार पर कर सकते हैं कि आप कहां रहते हैं जैसे किसी शहर में या किसी गांव में । गांव और शहर में एक बीमारी के इलाज या हस्पताल के खर्चों में बहुत अंतर होता है । ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो वहां के अस्पताल में यदि किसी बीमारी का इलाज 1 से 2 लाख रु में होता है, उसी बीमारी का इलाज शहरी क्षेत्र में करवाया जाए तो वह 4 से 5 लख रुपए में होता है। अगर औसत की बात करें तो यदि आप पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लेना चाहते हैं तो सामान्यतः 10 से 15 लख रुपए तक आपको कम से कम कवर लेना चाहिए और यदि व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 लाख तक की राशि का कवर लेना चाहिए। 

3.  बीमा कंपनी के दायरे में आने वाले हॉस्पिटल ? {Cashless Network Hospital}

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में इस ऑप्शन का मतलब यह होता है कि जिस हॉस्पिटल में आप अपना इलाज करवाना चाहते हैं वह हॉस्पिटल बीमा कंपनी की नेटवर्क में आता है या नहीं। अस्पताल के कैशलेस होने का मतलब यह है कि इलाज के समय आप हॉस्पिटल में भर्ती होकर इलाज करवा कर डिस्चार्ज हो सकते हैं जिसमें आपको कोई भी पैसा नहीं देना होता बल्कि हॉस्पिटल का बिल सीधा बीमा कंपनी द्वारा ही पेमेंट किया जाता है। इसलिए पॉलिसी लेने से पहले अच्छी तरह से जांच ले जो भी आपके आसपास के बढ़िया से बढ़िया अस्पताल है वह आपकी बीमा कंपनी की cashless नेटवर्क में आते हैं या नहीं। यदि आपने किसी ऐसे अस्पताल में इलाज करवा लिया जो कैशलेस नेटवर्क में नहीं आता तो उस अस्पताल के इलाज का खर्चा आपको अपनी जेब से देना पड़ेगा और बाद में बीमा कंपनी द्वारा वह पैसा आपको दिया जाएगा। 

4. बीमा लेने से पहली कोई बीमारी तो नहीं  {Pre and Post Hospitalization Coverage}

बीमा पॉलिसी में इस विकल्प का मतलब यह होता है कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले के खर्चे और हॉस्पिटल में इलाज होने के बाद के जो खर्च आते हैं वह भी बीमा कंपनी ही भुगतान करेगी। मान लीजिए यदि बीमा पॉलिसी धारक हॉस्पिटल में 5 दिन के लिए भर्ती होता है और इलाज के बाद वह लंबे समय तक जैसे दो से तीन महीने तक दवाइयां खाता है तो वह दवाइयां का खर्चा भी बीमा कंपनी द्वारा ही दिया जाएगा। इसके अलावा ने कोई भी खर्चा जैसे क्लिनिकल टेस्ट स्वास्थ्य जांच यह अन्य अस्पताल संबंधी खर्च सभी को बीमा कंपनी द्वारा ही भुगतान करना होता है। 

5. हॉस्पिटल के रूम के किराये की लिमिट ? {Room Rent Cap or Limit} 

इस विकल्प में बीमा कंपनियों द्वारा अलग-अलग अस्पताल में इलाज के दौरान कमरे के किराए के संबंध में पहले ही एक लिमिट सेट कर दी जाती है जैसे की उस कमरे का हर दिन का किराया। अब यदि आप किसी हॉस्पिटल में उस निर्धारित किराए से ऊपर के किराए वाले अस्पताल में जाते हो तो आपको खुद से भी भुगतान करना पड़ सकता है इसलिए सलाह यही दी जाती है कि अपनी बीमा पॉलिसी में इस विकल्प को बिल्कुल भी न चुने। 

6. इलाज का कुछ हिस्सा खुद पेमेंट करना ? {Co-Payment Clause or Co-Pay}

इस विकल्प के दौरान बीमा पॉलिसी में यह निर्धारित किया जाता है कि बीमा कवरेज का कुछ प्रतिशत हिस्सा जो की पॉलिसी के समय निर्धारित होता है वह बीमा धारक खुद पे करेगा तथा बाकी बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाएगा। इसमें पहले से ही पॉलिसी लेते समय कुछ प्रतिशत निर्धारित होता है लेकिन आपको सलाह यह यही दी जाती है की इस ऑप्शन को बिल्कुल भी सिलेक्ट न करें। क्योंकि जब आप बीमा पॉलिसी ले ही रहे हैं तो खुद से पेमेंट करने की बात किसी भी हद तक सही नहीं होती। 

7. 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती होना? {Daycare Procedure} 

बीमा पॉलिसी लेते समय आपको इस विकल्प का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह विकल्प यह निर्धारित करता है कि यदि कोई ऐसा इलाज या ऑपरेशन होता है जिसमें अस्पताल में एक दिन यानी 24 घंटे से कम के लिए भर्ती होना पड़े तो उसका कवर बीमा कंपनी नहीं देती है। इसलिए अपने बीमा पॉलिसी में इस विकल्प को जरूर चुने ताकि यदि आपको 24 घंटे से कम के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़े तो उसका इलाज का कवर भी आपको जरूर मिले।

 8. पहले से मौजूद बीमारी के कवर की समय अवधि {Waiting Period for Pre Existing disease}

यह ऑप्शन स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा तब दिया जाता है जब बीमा धारक को पहले से कोई बीमारी होती है जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड, डायबिटीज आदि। यदि बीमा करवाने वाले व्यक्ति में यह बीमारियां और पहले से होती है तो बीमा कंपनी बीमा राशि का क्लेम देने के लिए एक समय अवधि निर्धारित करती है जिसे वेटिंग पीरियड कहा जाता है । जैसे की ऐसे व्यक्तियों को 2 से 4 साल के बीच का वेटिंग पीरियड दिया जाता है कि यदि आज आपने इनमें से किसी बीमारी के चलते बीमा कर लिया है तो आपको अगले दो या तीन साल तक उसका क्लेम मिलना मुश्किल होता है । क्योंकि बीमारी आपमें पहले ही थी। इससे बचने के लिए एक ही तरीका है की आपको बीमा पॉलिसी तभी लेनी चाहिए जब आप पूरी तरह स्वस्थ हो । 

9. महिला की डिलीवरी और नवजात बच्चे का कवर ? {Maternity and newborn Coverage} 

इस विकल्प में बीमा कंपनी द्वारा नव विवाहित पति-पत्नी के लिए माता तथा नवजात शिशु की देखभाल का कवरेज दिया जाता है। यानी यदि बीमा धारक दम्पत्ति एक-दो साल के अंदर बच्चे पैदा करता है तो उनका कवर भी उनको बीमा कंपनी द्वारा दिया जा सकता है लेकिन यह विकल्प 2 से 4 साल के वेटिंग पीरियड के साथ ही लागू होता है। 

10. कवर की राशि को दोबारा पूरा करना ? {Refill Or Restore the Cover}

इस विकल्प में बीमा कंपनी द्वारा है यह ऑप्शन भी दिया जाता है कि यदि अपने अपने स्वास्थ्य बीमा का एक बार क्लेम ले लिया है तो उसके बाद आपका बीमा राशि में से वह राशि घट के बची हुई राशि को ही बाद में बीमा कंपनी भुगतान करने के लिए बाध्य होती है। लेकिन यदि आपने इस विकल्प को बीमा पॉलिसी लेते समय चुना है तो जब भी आप क्लेम लेंगे तो फिर से आपके बीमा राशि को दोबारा से पूरा कर दिया जाता है। 

जैसे मान लीजिए कि आपने 1 साल का 10 लख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवरेज लिया है और किसी बीमारी के चलते हैं अस्पताल में आपको ₹6 लाख का इलाज हुआ है तब बीमा कंपनी द्वारा ₹6 लाख रुपए भुगतान करने के बाद आपकी बीमा कवर की राशि का मात्र 4 लाख रुपए ही बचता है। लेकिन इस ऑप्शन के द्वारा उस बचे हुए चार लाख को बीमा कंपनी दोबारा से रिफिल करके उसके वास्तविक राशि तक ला सकती है जैसे की बीमा कंपनी बचे हुए चार लाख रुपए के कवर को दोबारा से 10 लाख रुपए तक सकती है। 

11. कौन सी स्थिति में क्लेम नहीं मिलेगा ? {Exclusion and Limitations of Cover}

यह विकल्प या बिंदु आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है इसमें उन बीमारियों या कारणों का जिक्र किया जाता है जिनका कवर आपको आपके बीमा पॉलिसी में नहीं मिलता है। दूसरे शब्दों में कहे तो इस लिस्ट में वह सभी बीमारियां या स्थितियां लिखी होती है जिनका किसी भी हालत में बीमा कंपनी द्वारा क्लेम नहीं दिया जाता है। जैसे कैंसर, Hiv आदि घातक बीमारियां बीमा कंपनी द्वारा कवर नहीं की जाती है। और यदि कोई कंपनी ऐसी बीमारियों का क्लेम देती है तो वह एक सीमा के दायरे में ही होता है जैसे की यदि किसी पेशेंट को कैंसर हो जाता है तो उसमें बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित अमाउंट ही दिया जाता है जोकी हो सकता है उस बीमारी के इलाज के बहुत ही कम हिस्सा हो। अतः स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय इस विकल्प का खास तौर पर ध्यान जरूर रखें। 

12. क्लेम न लेने पर बोनस ? {No Claim Bonus}

यह विकल्प इसलिए दिया जाता है यदि कोई बीमा धारक अपने पूरे साल के अंतर्गत बीमा क्लेम नहीं करता है या उसे बीमा क्लेम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है तो बीमा कंपनी द्वारा उसको नो क्लेम बोनस दिया जाता है। नो क्लेम बोनस के नाम पर बीमा कंपनी बीमा धारक के कवर के राशि को बढ़ा देती है । जैसे यदि एक व्यक्ति ने 10 लख रुपए का स्वास्थ्य बीमा ले रखा है और उसने कोई क्लेम 1 साल के अंदर नहीं किया है। तो संभव होता है बीमा कंपनी उसके कवर की राशि को 15 लाख तक कर सकती है। 1 साल तक बीमा राशि क्लेम न करने की स्थिति में दूसरा विकल्प भी बीमा कंपनी के पास होता है कि वह बीमा धारक के अगले साल के प्रीमियम या किस्तों की राशि कम कर देती है।

13. सस्ते के पीछे न भागे? {Balance Between Premium and Benefits} 

स्वास्थ्य बीमा लेते समय कभी भी आपको सस्ते प्रीमियम के चक्कर में नहीं पड़ना है। बीमा पॉलिसी में मिलने वाले बेनिफिट्स को अच्छी तरह परख कर ही अपने प्रीमियम को छूने क्योंकि बीमा पॉलिसी लेते समय आपको देने वाले प्रीमियम और उससे मिलने वाले बेनिफिट्स दोनों के बीच में एक तालमेल बनाकर चलना होता है। यदि आप सस्ते प्रीमियम के चक्कर में अच्छी और मूलभूत सुविधाओं का ही चयन नहीं करते हैं तो आपकी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का कोई महत्व नहीं रह जाएगा । इसलिए बेनिफिट्स और प्रीमियम दोनों को एक साथ मेजर करें भले ही शुरुआत में प्रीमियम ज्यादा आपको लग सकता है । लेकिन उससे मिलने वाले भविष्य की सुविधा भी आपके लिए बहुत ज्यादा मायने रखते हैं इसलिए सोच समझकर ही चयन करें। 

14. क्लेम निपटारे का अनुपात ? {Claim Settlement Ratio and Customer service}

अपने लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी चुनते समय आपको अलग-अलग बीमा कंपनियों द्वारा मिलने वाले सभी ऑफर्स में से उन्हीं को चुनना चाहिए जिनका क्लेम सेटेलमेंट रेशों बहुत अधिक होता है तथा जिनके ग्राहक सेवा अच्छी होती है। जिस कंपनी का क्लेम सेटेलमेंट रेशों अधिक होता है इसका मतलब यह होता है कि उस कंपनी द्वारा अधिक से अधिक क्लेम को अच्छी तरह से निपटा दिया गया है। दूसरा यह देखना चाहिए कि वह बीमा कंपनी अपने बीमा धारकों को फोन तथा जानकारी की सुविधा देती है या नहीं । उस समय पर आपके क्लेम और बीमा लेने में आपकी मदद करती है या नहीं। यह दोनों विकल्प चेक के लिए आप इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं या पब्लिक रिव्यूज आदि की सहायता भी ले सकते हैं। 

15. कुछ अन्य जरूरी टिप्स {Some Other Key Tips} 

स्वास्थ्य बीमा जितना कम उमर मिले उतना ही अधिक बेनिफिशियल होता है ।

किसी ऐसी बीमा कंपनी को ही चुने जो विश्वसनीय हो और जो काफी समय से आपके क्षेत्र में काम कर रही हो।

आपके लिए ऐसी कंपनी का चयन करना आवश्यक होता है जो आपको और जीवन स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करा सके जिसमें कोई उम्र की समय सीमा ना हो।

अगर आपने बीमा कवर बहुत कम राशि का लिया है तो यह सुनिश्चित करें कि आपके पास उसे पॉलिसी में टॉप अप लेने का विकल्प मौजूद हो। 

  • निष्कर्ष: {Conclusion}

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी आपके लिए किसी लग्जरी सामान जैसे घड़ी फोन या आभूषण की तरह दिखावे की वस्तु नहीं होती बल्कि यह आपके लिए बारिश में छतरी की तौर पर काम करती है। भारत में कुछ लोग इसको एक अतिरिक्त खर्च के रूप में देखते हैं जबकि हम इंश्योरेंस आज के बढ़ती महंगाई इस समय में बहुत जरूरी है भले ही हेल्थ इंश्योरेंस आपको भविष्य में अमीर नहीं बन सकता लेकिन यह आपको गरीब होने से जरूर बचा सकता है। 








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