भगवान शिव कौन है | WHO IS LORD SHIVA IN HINDI

भगवान शिव कौन है | WHO IS LORD SHIVA IN HINDI

शिवलिंग का महत्व , भगवान शिव कौन है,  भगवान शिव का जन्म,  ,भगवान शिव का शस्त्र , 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम 

 

 भगवान शिव कोन है

भगवान शिव हिन्दू धर्म सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजे जाते है।  ऐसा माना जाता है की इस सृष्टि की शुरुआत से पहले ही भगवान शिव का अस्तित्व मौजूद था। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस सृष्टि का जन्म से लेकर मरण तक त्रिदेवो के हाथ में होता है। इन त्रिदेवो में भगवान ब्रह्मा , भगवान विष्णु , भगवान शिव आते है जिन्हे हम त्रिमूर्ति के नाम से जानते है। इनमे से  भगवान ब्रह्मा इस सृष्टि का निर्माण करते है , भगवान विष्णु इस सृष्टि का संचालन करते है तथा  भगवान  शिव सृष्टि और बुराइयों ,अंधकार आदि के संहारक है। इन तीनो मुख्य देवताओ में से भगवान शिव को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। 


 भगवान शिव का जन्म :-

पौराणिक ग्रंथो के मुताबिक सृष्टि के आरम्भ से पहले ही  भगवान  शिव का जन्म एक शिवलिंग के रूप में हुआ।  भगवान शिव को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे ,महादेव ,त्रिपुरारी ,नीलकंठ ,गंगाधर ,त्रिनेत्रधारी ,भोलेनाथ ,आदियोगी, आदि। इन सभी नामों में  भगवान शिव की विशेषताएँ निहित है। उनका हर नाम उनके अलग विशेषता को दर्शाता है। उसके बाद भगवन विष्णु का जन्म हुआ तथा विष्णु जी के नाभि में से एक कमल पुष्प के नली पैदा हुई जिस पर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था। ऐसा भी माना जाता है की  भगवान  शिव आदि और अनादि है। जिनका कभी न तो जन्म हुआ है और न ही कभी अंत होगा।  भगवान  शिव  महाज्ञानी थे क्योंकि उन्होंने कई कल्पो तथा युगो तक ध्यान किया तथा हमेशा अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहे।  भगवान  शिव के पास हर समस्या का समाधान होता था। शुरुआत के कई  युगो तक उन्होंने एक साधु योगी की तरह अपना समय व्यतीत किया। उसके बाद में उनका विवाह आदि शक्ति का प्रारूप माता सती से हुआ। 

भगवान शिव को भोला नाथ क्यों कहा जाता है

सर्वशक्तिमान होते हुए भी भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। क्योकी वे  कभी अपनी शक्तियों का अभिमान नहीं करते तथा वह हमेशा सृष्टि के कल्याण के लिए ही अपनी शक्तियों का उपयोग करते थे। उन्हें न तो सम्मान का मोह था और न ही अपमान का डर। वैवाहिक होने के बाद भी वे हमेशा आदि योगी की तरह ही साधारण वेश में रहते थे। वे केवल एक बेलपत्ता से ही प्रसन्न हो जाते है। इसलिए ही  भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। सर्वशक्तिमान होते हुए भी  भगवान शिव प्रकृति के किसी भी नियम का उलंघन नहीं करते है। क्रोध आने पर भगवान शिव तांडव करते है जिससे यह धरती कांपने लगती है तथा आकाश फटने लगता है।  वे इस सृष्टि के कण कण में विद्यमान है। उन्हें पाने के लिए किसी विशेष स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं होती।  

भगवान शिव का शस्त्र :-  

भगवान शिव मुख्य शस्त्र त्रिशूल है। जोकि भगवान शिव के साथ उत्पन्न हुए तीन गुणों रज, तम तथा सतगुण को दर्शाता है यह महादेव (भगवान शिव) का सबसे घातक अस्त्र है इसके द्वारा महादेव ने बहुत से दानवो, राक्षसों आदि का वध किया था। त्रिशूल महादेव के द्वारा मानसिक रूप से संचालित होता है। इसका मतलब यह है की अपने लक्ष्य को नष्ट करने के बाद त्रिशूल अपने आप ही महादेव के पास आ जाता है। इस त्रिशूल पर हमेशा एक डमरू जोकि एक वाद्य यंत्र होता है बंधा होता है। ऐसा माना जाता है की सृष्टि में संगीत की उत्पत्ति इसी डमरू से हुई है। महाग्रंथों में यह वर्णित है की एक बार भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच युद्ध हो गया था तब महादेव ने विष्णु पर त्रिशूल छोड़ दिया था। वह त्रिशूल भगवान विष्णु के वक्ष यानि छाती में  जाकर लगा। लेकिन उससे विष्णु जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि पुराणों में भगवान शिव और भगवान विष्णु को समकक्ष यानि एक समान शक्तिशाली माना  गया है। लेकिन फिर भी त्रिशूल के वार के कारण विष्णु के वक्ष स्थल पर तीन घाव हो गए थे।  

शिवलिंग का महत्व :-

कई अज्ञानी लोग शिवलिंग का कुछ अलग ही मतलब निकालके बैठ जाते है। जबकि शिवलिंग का वास्तविक अर्थ होता है शिव का प्रतीक। ऐसा माना जाता है की शिव और शिवलिंग एक ही है। अतः भगवान शिव के हरेक मंदिर में शिवलिंग अवश्य होता है। किसी मंदिर में शिव की मूर्ति होना या शिवलिंग स्थापित होना एक ही बात है। शिवलिंग शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है जिसमे लिंग का मतलब प्रतीक होता है जैसे स्त्रीलिंग ,यानि स्त्री का प्रतीक ,पुल्लिंग ,यानि पुरुष का प्रतीक इसी तरह से शिवलिंग यानि शिव का प्रतीक। 


एक शिवलिंग को साक्षात् भगवन शिव का प्रारूप माना जाता है। विश्व में असंख्य शिवलिंग है लेकिन उनमे से 12 ज्योतिर्लिंग है जिनका महत्त्व अन्य सभी शिवलिंगो से अधिक है। उन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम इस प्रकार है -  

1.  सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
2.  नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
3.  भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
4.  त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
5.  ग्रिशनेश्वर ज्योतिर्लिंग  
6.  बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग 
7.  महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
8.  ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 
9.  काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग 
10. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग  
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग   
12. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के नामो का महत्व :- 

  • महादेव -  भगवान शिव अन्य सभी देवी देवताओं से श्रेष्ठ माने जाते है इसलिए उन्हें  " देवो के देव "महादेव " के नाम से जाना जाता है। 
  • त्रिपुरारी - महादेव के महान भक्त ताड़कासुर के तीन पुत्रो के तीन पुर को एक ही तीर से भगवान शिव ने नष्ट कर दिया था जिसके कारण उनको त्रिपुरारी के नाम की संज्ञा दी गयी। 
  • नीलकंठ  -  समुन्द्र मंथन के समय समुन्द्र से निकलने वाले भयंकर विष को केवल महादेव ही धारण कर सकते थे इसलिए उन्होंने इस भयंकर जहरीले विष को स्वयं पिया था जिसके कारण उनके गले का रंग नीला पड़ गया था जिसके वजह से उनको नीलकंठ महादेव के नाम से भी बुलाया जाने लगा। 
  • गंगाधर -  भगवान शिव अपनी बालों की जटाओ में गंगा नदी को हमेशा धारण करते है जिस वजह से उन्हें गंगाधर नाम से सम्बोधित किया जाता है।  
  • त्रिनेत्रधारी  - भगवान शिव की तीन नेत्र है जोकि तीसरा नेत्र उनके माथे पर है ऐसा माना जाता है की वह तीसरा नेत्र उनके क्रोध की अग्नि को बाहर निकलने के लिए तथा जब वह अपनी दोनों आँखे बंद करके ध्यान करते है तब उनकी तीसरी आँख से यह संसार पर निगरानी रहते है।  
  • आदियोगी -  सर्वशक्तिमान होकर भी एक साधारण वैरागी का जीवन व्यतीत करने के कारण ही भगवान शिव को आदियोगी तथा महायोगी कहा जाता है।   

इन सबके अतिरिक्त भगवान शिव के अनेको नाम है जिनके पीछे उनकी कोई विशेषता या कहानी रही है। आज भी भगवान शिव को अन्य देवताओ के तुलना में अधिक सम्मान तथा श्रद्धा दी जाती है।   

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