राम जटायु संवाद तथा शबरी के बेर | Shabri Ramayan In Hindi

राम जटायु संवाद तथा शबरी के बेर | Shabri Ramayan In Hindi

राम भक्त शबरी कौन थी।  शबरी रामायण । शबरी के बेर 

( Shabri Ramayan in Hindi) | ( Who was Mata Shabri in Hindi )

सीता की खोज तथा राम जटायु संवाद 

सीता हरण के पश्चात जब राम और लक्ष्मण अपनी कुटिया में लौटते हैं तो सीता माता उनको नहीं मिलती। दोनों भाई समझ जाते हैं कि यह अवश्य ही किसी असुर की चाल थी। दोनों भाई सीता को ढूंढते हुए दर-दर भटकने लगते हैं। काफी देर तक वन में भटकने के बाद उनको गिद्ध जटायु घायल अवस्था में पड़े हुए मिलते हैं। जटायु श्री राम लक्ष्मण को सीता हरण का सारा वृतांत बताता है कि देवी सीता को रावण नाम का असुर हरण करके दक्षिण दिशा की तरफ ले गया है। 


गिद्ध जटायु 

जटायु  कहता है कि हे राम, तुम्हारे पिता दशरथ मेरे मित्र थे इसलिए तुम्हारी पत्नी सीता मेरी मेरी पुत्र वधु के समान थी  जिसकी रक्षा के लिए मैंने अपने जी जान से रावण से युद्ध किया लेकिन आखिर में रावण ने अपनी तलवार से मेरा एक पंख काट दिया जिससे मैं संतुलन खोकर नीचे गिरा और चाहकर भी पुत्री सीता को उस आताताई से छुड़ा नही पाया। इतना कहकर गिद्ध जटायु अपने प्राण त्याग देता है।

राम तथा गन्धर्व संवाद 

श्रीराम एक पुत्र की तरह जटायु का अंतिम संस्कार करते है तथा सीता की खोज में दक्षिण की तरफ चल देते है। बहुत समय तक वन में भटकते हुए उनपर एक लंबी भुजाओं वाला राक्षस आक्रमण करता है। लक्ष्मण अपनी तलवार से उस राक्षस की दोनो भुजाए काट देते है । तब वह राक्षस श्रीराम को बताता है कि वह एक गंधर्व है और ऋषि के शाप के कारण ऐसा बन गया है यदि कृपया करके आप मेरे पूरे शरीर का अंतिम संस्कार करेंगे तो मैं श्राप से मुक्त हो जाऊंगा। तब मैं आपकी पत्नी सीता तक पहुंचने में आपकी सहायता करूंगा। तब श्रीराम लक्षमण से लकड़ियां एकत्रित करने के लिए कहते है और उस विशाल राक्षस का पुरे शरीर के  साथ अंतिम संस्कार करते है। 

अंतिम संस्कार करने के बाद वह राक्षस एक रूपवान गंधर्व बन जाता है और श्रीराम को बताता है कि आपकी पत्नी को लंका का राजा रावण हरण करके ले गया है। मैं अपने दिव्य ज्ञान से यह देख सकता हु की आपकी मित्रता वानर राज सुग्रीव से होगी जिसकी सहायता से आप अपने कार्य में सफल होंगे तथा रावण पर विजय प्राप्त करेंगे । सुग्रीव से मिलने के लिए आप पहले माता शबरी से मिलेंगे जोकि परम तपस्विनी है और महर्षि मतंग मुनि की शिष्या है।  वह आपकी भक्ति कर रही है। इसलिए आप अभी पंपासरोवर के पास स्थित मतंग मुनि के आश्रम में जाइए जहां पर आपको माता शबरी मिलेंगी।

राम-लक्षमण की माता शबरी से भेंट 

उसके बाद श्री राम और लक्ष्मण पंपा सरोवर की तरफ चल देते हैं जहां पर उन्हें एक वृद्ध भीलनी मिलती है जोकि रास्ते पर फूल बिछा रही होती है। वह वृद्ध भीलनी परम तपस्विनी माता शबरी थी जोकी अपने भगवान श्री राम के आने के लिए कुटिया के रास्ते पर हर दिन फूल बिछाती थी ताकि जब श्री राम आए तो उनके पैर में कोई कांटा ना लगे। जब श्री राम और लक्ष्मण की कुटिया में पहुंचते हैं तो उनका परिचय पाकर माता शबरी खुशी से रोने लगती हैं तथा श्री राम और लक्ष्मण का स्वागत करती है वह उन्हें बताती हैं कि उनके गुरु श्री मतंग मुनि जी अब नहीं रहे लेकिन उन्होंने ही मुझे बताया था कि भविष्य में श्रीराम अपनी पत्नी सीता को खोजते हुए हमारे आश्रम में आएंगे और तुम उन्हें सुग्रीव तक जाने का मार्ग बता देना जिनकी सहायता से वह रावण पर विजय प्राप्त करके अपनी पत्नी सीता को पा सकेंगे। 


शबरी के बेर

शबरी के बेर (Shabri ke Ber)

माता शबरी श्री राम और लक्ष्मण को भोजन के रूप में अपने द्वारा लाए गए बेर देती है। शबरी श्रीराम के लिए आश्रम के वृक्षों से प्रतिदिन बेर चख चख कर अपनी टोकरी में रखती ताकि श्रीराम के लिए केवल मीठे बेर ला सके। शबरी द्वारा चख कर  इकट्ठे किए हुए  बेर भी श्री राम बड़े आदर भाव से खाते हैं क्योंकि वह जानते थे कि वह बेर झूठे होते हुए भी स्नेह और भक्ति भाव से परिपूर्ण है। शबरी मतंग मुनि के बाद केवल इसीलए रही की वह श्री राम के दर्शन करना चाहती थी। अतः श्री राम से मिलन के मिलने के पश्चात शबरी उनको बताती है कि पंपा सरोवर के दक्षिण तट की तरफ ऋषि मुख पर्वत है जिसके शिखर पर  वानर राज सुग्रीव अपने चार मंत्रियों के साथ वास करते हैं और वहीं पर आपको अपने परम भक्त हनुमान से भी भेंट होगी। उसके पश्चात शबरी शह शरीर अपने परमधाम को चली जाती है। 

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