भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कहानी | Matsya Avatar's Story in Hindi

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कहानी | Matsya Avatar's Story in Hindi

भगवान नारायण का मत्स्य अवतार की कथा

Matsya Avatar of Lord Vishnu in hindi

मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार है जिसमे  उन्होंने एक विशाल मछली का रूप धारण किया था जिसके माथे पर सींग था । एक दानव ने वेदों को चुरा लिया था जिसे विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके प्राप्त किया। फिर संचालनकर्ता के रूप में पृथ्वी पर जीवन को  बचाने के लिए विष्णु ने मनु से नया जीवन बनाने के लिए एक नाव बनाने के लिए कहा और मत्स्य ने नाव को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। भगवान विष्णु के दस अवतारों में से पहले मत्स्य अवतार की कहानी का उल्लेख कई प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, भागवत पुराण और अन्य में किया गया है। कहानी इस प्रकार है:-  
 मत्स्य अवतार

विष्णु के पहला अवतार "मत्स्य अवतार की कहानी"

एक बार, हयग्रीव नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया था। उसने उन्हें गहरे समुद्र में ले जाकर वहीं छिपा दिया। भगवान विष्णु, जिन्होंने  इस घटना को ब्रह्मांड के संतुलन के लिए एक खतरे के रूप में देखा,  तब विष्णु जी ने एक विशाल मछली का रूप लेकर समुद्र से वेदों को निकालने का फैसला किया।

भगवान विष्णु ने अपने सिर पर एक सींग धारण की हुई एक विशाल मछली का रूप धारण किया, जिसे मत्स्य के नाम से जाना जाता है,मछली के इसी रूप को मत्स्य अवतार कहा गया।   भगवान विष्णु  तैरकर समुद्र के तल में गए  और राक्षस हयग्रीव को वेदों के साथ छिपा हुआ पाया। राक्षस ने भगवान विष्णु पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन मछली के रूप में नारायण उस राक्षस  लिए बहुत शक्तिशाली थे । भगवान विष्णु ने हयग्रीव को पराजित किया और उससे वेदों को पुनः प्राप्त किया।

हालाँकि, भगवान विष्णु का प्रयोजन अभी पूरा नहीं हुआ था। क्योंकि जल्द ही एक बड़े पैमाने पर बाढ़ से पूरी धरती नष्ट होने वाली थी, और भगवान विष्णु जानते थे कि बाढ़ के बाद एक नई दुनिया बनाने के लिए वेदों में निहित ज्ञान आवश्यक था। इसलिए, भगवान विष्णु ने उस समय के राजा मनु से एक नाव बनाने और सभी जीवित प्राणियों और वेदों को सुरक्षित करने के लिए कहा। 

मत्स्य अवतार में की जीवन की रक्षा  

एक बार राजा मनु स्नान करने के लिए एक नदी में गए थे। वहां पर उन्होंने एक छोटी सी मछली देखी जोकि बोल पा रही थी। उस मछली ने राजा मनु से कहा कि हे राजन मुझे यहां पर बड़ी मछलियों से खतरा है इसलिए मेरी रक्षा करो। उस छोटी सी मछली की बात सुनकर राजा मनु उस पर दया आ जाती  हैं और वह उस मछली को अपनी अंजलि में भरकर अपने राजमहल में ले आते हैं और उसे एक जल के पात्र में डाल देते हैं। और अपने शयनकक्ष में सोने के लिए चले जाते है। 

-- अगले दिन राजा मनु देखते हैं कि वह मछली आकार में बड़ी हो गई है और उस जल पात्र में बड़ी मुश्किल से हिल पा रही है। तो राजा मनु पहरेदार से कहकर उस मछली को एक विशाल जल पात्र में छोड़ देते है। लेकिन अगले दिन फिर वह मछली उस जल पात्र से भी बड़ी हो जाती है। राजा मनु को आश्चर्य होता है और वह उस मछली को एक बड़े जलाशय में छोड़ देते हैं लेकिन राजा मनु देखते हैं कि वह मछली उस जलाशय से भी विशाल हो गई है। यहां देखकर राजा मनु निश्चय करते हैं कि वह उस मछली को समुद्र मैं छोड़ देंगे। जब राजा मनु उस विशालकाय मछली को समुद्र मैं छोड़ देते हैं तब वह मछली अपना आकार कई गुना और बढ़ा लेती है। उस मछली के इतने विशालकाय आकार को देखकर राजा मनु समझ जाते हैं कि यह निश्चित ही कोई देवता या भगवान का कोई अंश है। 

-- तब राजा मनु हाथ जोड़कर उस मछली से विनती करते हैं कि आप जो भी दैवीय शक्ति हो कृपया मुझे दर्शन दीजिए। राजा मनु की उदारता देखकर भगवान विष्णु उन पर प्रसन्न होते हैं और उसे अपने एक दिव्य रूप के दर्शन देते है जिसमे उनका कमर से नीचे का भाग एक मछली के रूप में था तथा उपर का भाग स्वयं भगवान नारायण का रूप था ।

-- तब उसी अर्ध मत्स्य  रूप में भगवान विष्णु राजा मनु को कहते हैं कि आज से ठीक 7 दिन बाद धरती पर जल प्रलय आने वाला है जिससे पूरी पृथ्वी का जीवन नष्ट हो जाएगा। इसीलिए पृथ्वी पर जीवन को दोबारा  आबाद करने के लिए आप एक विशाल नौका (नाव ) का निर्माण कीजिए। तब  भगवान विष्णु राजा मनु को कहते हैं की आप पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अंश तथा बीज लेकर उस विशाल नौका पर सवार हो जाना। प्रलय के दिन में मत्स्य रूप में आऊंगा तथा आपकी उस नौका को किसी सुरक्षित स्थान पर ले कर जाऊंगा। यह कह कर मछली रूप में भगवान विष्णु समंदर की गहराइयों में गायब हो जाते हैं। 

-- राजा मनु भगवान विष्णु के बातों को मान का एक विशाल नौका का निर्माण करते हैं।  तथा भगवान विष्णु के  कहे अनुसार ठीक सातवें दिन पृथ्वी पर भयंकर बाढ़ आ जाती है जिसमें सारी भूमि जलमग्न हो जाती है। लेकिन राजा मनु अपने परिवार तथा सभी जीवित प्राणियों के बीज तथा अंश लेकर सप्त ऋषियों के साथ उस नौका पर सवार हो जाते हैं। पृथ्वी पर चारों ओर जल ही जल दिखाई दे रहा था । तभी वहां पर जल में तैरते हुए एक विशालकाय मछली आती है जिसके माथे पर एक सींग होता है। राजा मनु समझ जाते हैं कि वह भगवान विष्णु ही है। तब राजा मनु  एक विशाल रस्सी से नौका को उस मछली के सींग पर बांध देते है । तब भगवान विष्णु राजा मनु के नौका को खींचकर पृथ्वी के सबसे ऊंचे स्थान पर लेकर चले जाते हैं।  जब तक प्रलय शांत नहीं हुआ। अंत में, जब बाढ़ शांत हुई, तो भगवान विष्णु ने मनु को अपना वास्तविक  रूप का दर्शन दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया।  इस प्रकार राजा मनु के द्वारा पृथ्वी पर फिर से  जीवन आबाद होता है। 


मत्स्य अवतार की कहानी

-- भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वेदों और सभी जीवित प्राणियों को जलप्रलय से बचाया था। मत्स्य अवतार की कहानी को ज्ञान के संरक्षण और संकट के समय ईश्वर के मार्गदर्शन का पालन करने के महत्व के रूपक के रूप में भी देखा जाता है।

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