गौतम बुध का जीवन परिचय । गौतम बुध कौन थे। Who was Gautam Budhha

गौतम बुध का जीवन परिचय । गौतम बुध कौन थे। Who was Gautam Budhha

महात्मा बुद्ध का जीवन  परिचय  गौतम बुध का जन्म

GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY IN HINDI

गौतम बुध का जन्म ( BIRTH OF GAUTAM BUDHHA)

गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पहले नेपाल देश के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास  एक लुम्बिनी नामक वन में हुआ।  गर्भावस्था में रानी महामाया अपने नैहर देवदह जा रही थी तब लुम्बिनी वन के रस्ते में ही उन्होंने बालक को जन्म दिया।  जिसका नाम सिद्धार्थ रखा गया। जन्म के एक सप्ताह बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया और उनकी मौसी गौतमी ने उनका पालन पोषण किया। 

GAUTAM BUDHH KOUN THE
महात्मा गौतम बुध

गौतम बुध कौन थे? । महात्मा बुद्ध कौन थे ?

गौतम बुद्ध एक प्रसिद्ध धर्मगरु थे। वैभवशाली परिवार में जन्मे होने के बावजूद भी उन्होंने जब इस संसार में मानसिक शांति और स्थिरता नहीं पाई तो उन्होंने अपना जीवन सन्यासी के रूप में बिताने का निश्चय किया। उन्होंने निरंतर ध्यान से परमात्मा को खोजने का प्रयास किया तथा अपने ज्ञान द्वारा मानव जाति को असंख्य दुखों से मुक्त कराने के लिए मार्गदर्शन किया। उनके उपदेश मुख्य पांच बातों का जिक्र मिलता है वो थे, अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह । उन्होंने धर्म के नाम पर किए जाने वाले आडंबर का विरोध किया तथा अहिंसा तथा ध्यान का मार्ग अपनाया। गौतम बुद्ध के बारे में कुछ और जानकारी निम्नलिखित है। -

महात्मा बुद्ध के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें -

1. गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल देश के लुंबिनी नगर के मन में हुआ था। उनके जन्म के दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म वैशाख महीने की पूर्णिमा को हुआ था इसलिए जिस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा।

2. गौतम बुद्ध के जन्म का वास्तविक नाम सिद्धार्थ रखा गया था। माता के देहांत के बाद उनकी मौसी गौतमी द्वारा पालन-पोषण किए जाने के कारण उनका नाम गौतम पड़ गया। तथा उनके आत्मज्ञान तथा बौद्ध स्थिति के कारण जागृत मानकर उन्हें बुद्ध की उपाधि दी गई । जिससे आखिर में उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ गया।

3. गौतम बु के पिता का नाम शुद्धोधन था तथा उनकी माता का नाम महामाया था जोकि उनके जन्म के 7 दिन बाद ही स्वर्ग सिधार गई थी। उनकी माता के मृत्यु के पश्चात उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली जिस कारण उन्हें अपने पिता के साथ अधिक समय बिताने का मौका नहीं मिला।

4. गौतम बुद्ध जन्म से ही प्रखर बुद्धि तथा विवेक के स्वामी थे। संसार की मोह माया से हटकर उन्होंने तपस्या का मार्ग चुना और 24 वर्ष के आयु में ही तपस्या करने के लिए घर से निकल गए थे।

5. गौतम बुद्ध की शादी 16 वर्ष की आयु में यशोधरा नामक युवती से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद उन्हें अपने पत्नी यशोधरा से पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया।

6. शुरुआत में गौतम बुद्ध के एक गुरु बने जिनका नाम अलारा कलमा था। लेकिन जब एक बार गौतम बुद्ध ने अपने गुरु से ईश्वर के अस्तित्व के बारे में पूछा तो जब उनके गुरु ने उन्हें ईश्वर के अस्तित्व के बारे में बताएं तो उस ज्ञान से गौतम बुद्ध को पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई इसलिए उन्होंने एक अन्य गुरु बनाया जिनका नाम उद्दाका रामापुत्त था। अपने दूसरे गुरु से उन्होंने मेरी टेशन अंतर्ध्यान तथा आध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त किया।

7.  गौतम बुद्ध ने अपने अध्यात्म तथा आत्मज्ञान के आधार पर ,Chaar Aaryasaty, को आधार बनाकर बुद्ध धर्म की स्थापना की।

8. गौतम बुध के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसकी तृष्णा होती है जो कि उसको किसी भी वस्तु को पाने की इच्छा जागृत करती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी तृष्णा से मुक्त हो जाता है तो वह अपने जीवन के अनंत दुखों से मुक्ति पा सकता है। 

9. उनके अनुसार एक मनुष्य अपनी कृष्णा से मुक्ति तब तक नहीं पा सकता जब तक उसका मन शांत व स्थिर ना हो। मन को शांत करने के लिए मनुष्य को अध्यात्म की ओर जाना चाहिए जिसमें सांसारिकता को भूलकर ईश्वर तथा सत्य की खोज करते हुए ध्यान करना चाहिए। 

10. गौतम बुद्ध के विचारों में मनुष्य को खुद को प्रभावशाली तथा व्यक्तिगत सुख की कामना करनी चाहिए। सभी रिश्ते नातों को भूलकर परमात्मा की ओर जाना तथा मुक्ति ही सबसे बड़ा सुख है।

अन्य जानकारी - 

कुछ हिंदू धर्म ग्रंथों की मानें तो यह कहा जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु का नौवां अवतार थे। धर्म के नाम पर हो रहे और आडंबर तथा बलि जैसे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने गौतम बुद्ध के रूप में अवतार लिया था। जिसमें उन्होंने मानव को आधुनिकता तथा आत्मज्ञान का बोध कराया तथा बहुत से असामाजिक तथा अनैतिक रीति-रिवाजों को बंद करवाया।

जीवों के प्रति अत्यधिक दया भाव 

गौतम बुद्ध हर जीव के प्रति दयालु थे तथा छोटे से छोटे प्राणी के लिए भी दया भाव रखते थे। एक समय की बात है जब गौतम बुद्ध को जंगल में एक हंस मिला जो कि एक तीर लगने से घायल हो गया था। गौतम बुद्ध ने उस हंस को अपने हाथों में उठाया उसका तेल निकाल कर उसे अपने हाथों से सहलाया। कुछ ही समय में वहां पर एक देवदत्त नाम का शिकारी आता है और गौतम बुध से कहता हैं कि उसी ने इस हंस पर तीर चलाया था और यह उसका शिकार है । इसलिए यह हंस मुझे दे दीजिए । तब गौतम बुद्ध ने कहा कि तुम्हारा इस हंस पर कोई अधिकार नहीं है क्योंकि इसे मैंने बचाया है तो इस पर मेरा अधिकार है। 

वह शिकारी देवदत्त गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन के पास शिकायत लेकर जाता है कि उनके पुत्र ने उसका शिकार छीन लिया है। उनके पिता ने जब गौतम बुध से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस शिकारी को हंस के प्राण देने का अधिकार किसने दिया। इस हंस ने इस शिकारी का क्या बिगाड़ा था जो इसने इसको तीर चला कर घायल किया। यदि मैंने इस हंस का तीर निकाल कर उसे बचाया नहीं होता तो यह मर जाता । इसलिए इस हंस पर देवदत्त का अधिकार नहीं है। क्योंकि हंस को देवदत्त ने ना जन्म दिया है और ना ही पाला है तो फिर इसे इस के प्राण लेने का अधिकार कैसे हो गया। 

गौतम बुद्ध के पिता को उनकी बात न्याय उचित लगती है और वह कहते हैं कि वास्तव में मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है इसलिए इस हंस पर देवदत्त का नहीं बल्कि तुम्हारा अधिकार हैं।

महात्मा बुध की मृत्यु   

बौद्ध ग्रंथों के अनुसार लगभग 80 वर्ष की आयु में  महात्मा बुद्ध की मृत्यु ककुत्था नदी को पार करने के बाद कुछ दूर जाने के उपरांत कुशीनारा नामक एक वन क्षेत्र मे हुई थी। बाद में उनके निधन और महापरिनिर्वाण स्थल पर स्तूपों का निर्माण करवाया गया और बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए यह एक तीर्थ बन गया।

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