Sad reality of the world | दुनिया की दुखद वास्तविकता

Sad reality of the world | दुनिया की दुखद वास्तविकता

Sad reality of the today's world दुनिया की दुखद वास्तविकता

Sad reality of the today's modern world

| human stupidity

 वर्तमान समय आधुनिकता का समय है जिसमे हर वस्तु तथा काम इतना आधुनिक हो चूका है की हम मनुष्य अपने विकास के लिए अन्य प्राकृतिक वस्तुओं तथा जीव-जन्तुओ को हानि पहुंचा रहे है।  हमें अपने विकसित होने के अतिरिक्त कुछ और दिखाई ही नहीं देता। हम अपनी कुछ सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति तथा वन्य जीव-जन्तुओ को बेघर करने पर तुले हुए है। आधुनिक होने के साथ साथ हम अपने वास्तविक रूप को भी नहीं पहचानते है। तकनीकी विकास ने मनुष्य की आँखों पर स्वार्थ की पट्टी बांध दी है जिससे वह अपने को छोड़कर बाकि सभी की अवहेलना करता है। 

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आज के समय मानव इतना स्वार्थी हो चूका है की वह केवल अपने आवश्यकताओं को पूरा करने के

लिए हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ साथ प्राकृतिक सम्पदाओं को भी नष्ट करने में लगा हुआ है। मानव प्रकृति पर निर्भर होते हुए भी उसी को नष्ट कर रहा है जैसे ,प्रदुषण फैलाना , वनो को काटना ,प्रकृति के साथ छेड़खानी करना आदि ,मनुष्य ऐसे काम कर रहा है जिससे वह स्वयं के विनाश को आमंत्रित कर रहा है।

1. पेड़ो को काटना :- (CUTTING THE TREE,S)

   मानव ने अपने विकास के लिए बहुत से पेड़ पोधो का विध्वसं किया है। उसने अपने परिवहन मार्ग बनाने के तथा अपने उद्योग धंधे लगाने के लिए बहुत से वन सम्पदा को नष्ट किया है यह जानते हुए भी की पेड़ पौधे हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यह आपको बताने की


जरुरत नहीं है की यदि पृथ्वी पर पेड़ नहीं रहे तो हम एक दिन भी साँस नहीं ले पाएंगे। पेड़ हमारे लिए शुद्ध हवा, फल, लकड़ी, ओषधिया , छाया, प्रदान करने के साथ साथ हमारे मौसमी उचावन ,जैसे बाढ़ ,भूकंप ,वर्षा तथा सूखा आदि से भी बचाते है। पेड़ो को काटकर हम केवल प्रकृति का ही नुकसान नहीं कर रहे है बल्कि उन पशु -पक्षियों का घर भी उनसे छीन रहे है जो केवल इनपर निर्भर रहते है। 

2. जल का दुरूपयोग :- ( MISUSE OF WATER )  

  शुद्ध जल मानव जीवन के साथ साथ सभी प्राणियों के जीवित रहने के लिए बहुत आवश्यक होता है। यह सब जानते हुए भी आज के समय पानी का इतना अधिक दुरूपयोग हो रहा है की यह मुमकिन है की आने वाले समय में हमें अपने  पीने के पानी की भी कमी हो सकती है। आज आधुनिक यंत्रो के द्वारा धरती के निचे से पानी निकालना बहुत आसान है इसी वजह से कुछ स्वार्थी इंसान जल की अनमोल कीमत को भी नहीं समझ रहा है।  जबकि हम सब जानते है की धरती पर ख़राब जल तो बहुत मात्रा में उपलब्ध है लेकिन शुद्ध जल बहुत ही कम है।  

3 अत्यधिक प्लास्टिक का उपयोग ;-(TO MUCH USE OF PLASTIC )

   आज के आधुनिक लोगो के पास शायद समय की बहुत कमी इसलिए वह अपना समय बचाने के लिए SINGLE USE होने वाली प्लास्टिक की चीजे बड़े चाव से खरीदता है ताकि उसे धोने में मेहनत  न करनी पड़े। इसी वजह से हम प्लास्टिक का इतना अधिक उपयोग करने लगे है की हमारे आस पास , शहरो ,गावों ,नदियों ,तथा समंदर में भी हमारे इस कारनामे के अंश मिल ही जाते है। इससे हमारा तो केवल थोड़ा समय बचता है लेकिन यह हमारे साथ साथ हमारी प्रकृति, समुद्री जीवो , उपजाऊ भूमि ,तथा अन्य जीव-जन्तुओ के लिए कितनी हानिकारक है। 

4. मोबाइल फ़ोन का नशा :- (ADDICTION OF MOBILE PHONES )

4. मोबाइल फ़ोन का नशा :- पिछले कुछ ही दशकों में संसार में तकनीक का इतना विकास हुआ है की जितना पिछले 100 सालो में भी नहीं हुआ। इसका सबसे सटीक उदाहरण है हमारा मोबाइल फ़ोन। एक इंसान अपना अधिकतर समय अपने मोबाइल फ़ोन पर व्यतीत करता है।  मोबाइल फ़ोन आज के समय में एक नशा बन चूका जिसकी गुलामी इंसान करने लगा है। ये बात सच है की मोबाइल फ़ोन पर सोशल मीडिया के जरिये हम संसार के किसी भी कोने तक अपनी बात पहुंचा सकते है लेकिन इसके नशे के कारण जो सामने बैठा है उसे हम नजरअंदाज कर देते है। 

अगर इंसान को धरती का सबसे खूंखार प्राणी कहा जाए तो भी शायद यह गलत नहीं होगा क्योंकि हम इंसानो ने बारम्बार अपनी प्रकृति की अवहेलना की है। जिसका परिणाम अन्य मासूम तथा बेकसूर जीव-जन्तुओ को भुगतना पड़ता है।  

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